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गांगुली ने अपनाया था इमरान का फॉर्मूला: टीम इंडिया को क्रिकेट में बेहतरीन टीम बनाने का श्रेय सौरव गांगुली को जाता है. गांगुली भारत के पहले कप्तान रहे जो विपक्षी टीम की ईंट का जवाब पत्थर से देते थे. लेकिन गांगुली से बहुत पहले इमरान खान ने इस तरीके को अपनाया था और पाकिस्तान टीम को नई दिशा देने में अहम भूमिका निभाई थी.
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19 साल की उम्र में पाकिस्तान टीम में डेब्यू करने वाले इमरान खान ने 1976 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर कहर बरपाया था. उन्होंने इस दौरे में खेले गए दूसरे टेस्ट में 12 विकेट झटके थे और पाकिस्तान को ऐतिहासिक जीत दिलवाई थी. इसी मैच में इमरान खान स्लेजिंग को लेकर विवादों में आए थे.
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बात दरअसल ये है कि ऑस्ट्रेलिया के विकेटकीपर रॉडनी मार्श और तेज गेंदबाज डेनिस लिली पाकिस्तान के खिलाड़ियों को स्लेज कर रहे थे. यह देख इमरान खान गुस्सा हो गए और अपने साथी गेंदबाज सरफराज नवाज के साथ मिलकर ऑस्ट्रेलियाई पुछल्ले बल्लेबाजों पर जमकर बाउंसर फेंकी. इस दौरान वह बल्लेबाज के पास जाते और घूरकर निकल जाते. इस बात को लेकर उनकी देश और विदेश में खूब चर्चा हुई. आने वाले दिनों में इसी अंदाज में उन्होंने पूरी पाकिस्तान टीम को ढाल दिया और कई सीरीज में फतह दिलवाई. जाहिर है कि उन्होंने ईंट का जवाब पत्थर से देना सीख लिया था.
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धोनी की तरह विचलित न होने वाली थी क्वालिटी: इमरान खान में धोनी की तरह कभी भी विचलित नहीं होने की क्वालिटी थी. वह किसी भी बात को लेकर परेशान नहीं होते थे और अपने प्लान पर अडिग रहते थे. इमरान खान ने वर्ल्ड कप 1992 के पहले संन्यास ले लिया था. लेकिन उन्हें वर्ल्ड कप के लिए अपना संन्यास वापस लेने की गुजारिश की गई. उन्होंने अपना संन्यास त्यागा और टीम के साथ वर्ल्ड कप खेलने के लिए ऑस्ट्रेलिया निकल पड़े. उस समय पाकिस्तान टीम की हालत कुछ खास अच्छी नहीं थी.
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टीम में एक ओर जहां उम्रदराज क्रिकेटर्स (जावेद मियांदाद, इमरान खान) का जमावड़ा था तो दूसरी ओर नए नवेले क्रिकेटर्स (इंजमाम उल हक) अपनी जमीन तलाश रहे थे. लेकिन इमरान खान ने आते ही पाकिस्तान टीम में ऐसा माहौल बनाया कि हर खिलाड़ी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करता नजर आया.
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इमरान खान ने खुद तो अच्छा खेल दिखाया ही बल्कि पाकिस्तान टीम को एक धागे में पिरोने का बेहतरीन काम भी किया. इमरान खान के जादू का ही असर था कि पाकिस्तान ने सेमीफाइनल में टूर्नामेंट की सबसे चढ़ी-बढ़ी टीम न्यूजीलैंड को एक रोमांचक मैच में हराते हुए फाइनल का सफर तय किया. और फाइनल में इमरन खान ने गेंद और बल्ले दोनों से शानदार प्रदर्शन करते हुए अपनी टीम को पहली बार वर्ल्ड कप जितवाया था.
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कोहली की ही तरह हर कीमत में चाहते थे जीत: इमरान खान एक ऐसे खिलाड़ी रहे जो हर हाल में जीत अपने नाम करना चाहते थे. साथ ही वह अपने खिलाड़ियों का साथ भी खूब देते थे. उनके साथ खेले इंजमाम उल हक, वकार युनुस, वसीम अकरम आज भी उनकी तारीफ करते नहीं थकते. इमरान खान हमेशा से टीम के हित में फैसले लेते थे और नए टैलेंट की तलाश में रहते थे. वकार और इंजमाम को नैट प्रैक्टिस से सीधे राष्ट्रीय टीम में लाने का श्रेय इमरान खान को ही जाता है.
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ये दोनों आने वाले सालों में पाकिस्तान के सबसे बहतरीन क्रिकेटर बने. इमरान खान ने जो खिलाड़ी तैयार किए थे उन्होंने अगले एक दशक तक पाकिस्तान टीम का जलवा बरकरार रखा. जाहिर है कि पाकिस्तान को इमरान खान जैसा दूसरा कप्तान पाने में सालों लग गए लेकिन आज तक उनके करीब पहुंचने वाला कोई भी नहीं मिला। लेकिन अच्छी बात ये है कि अगर वह प्रधानमंत्री बने तो पाकिस्तान में क्रिकेट की हालत में सुधार जरूर देखने को मिल सकता है.
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कोहली की ही तरह हर कीमत में चाहते थे जीत: इमरान खान एक ऐसे खिलाड़ी रहे जो हर हाल में जीत अपने नाम करना चाहते थे. साथ ही वह अपने खिलाड़ियों का साथ भी खूब देते थे. उनके साथ खेले इंजमाम उल हक, वकार युनुस, वसीम अकरम आज भी उनकी तारीफ करते नहीं थकते. इमरान खान हमेशा से टीम के हित में फैसले लेते थे और नए टैलेंट की तलाश में रहते थे. वकार और इंजमाम को नैट प्रैक्टिस से सीधे राष्ट्रीय टीम में लाने का श्रेय इमरान खान को ही जाता है. ये दोनों आने वाले सालों में पाकिस्तान के सबसे बहतरीन क्रिकेटर बने. इमरान खान ने जो खिलाड़ी तैयार किए थे उन्होंने अगले एक दशक तक पाकिस्तान टीम का जलवा बरकरार रखा. जाहिर है कि पाकिस्तान को इमरान खान जैसा दूसरा कप्तान पाने में सालों लग गए लेकिन आज तक उनके करीब पहुंचने वाला कोई भी नहीं मिला। लेकिन अच्छी बात ये है कि अगर वह प्रधानमंत्री बने तो पाकिस्तान में क्रिकेट की हालत में सुधार जरूर देखने को मिल सकता है.
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