
जिस प्रकार गरमाहट पाने हेतु हम अग्नि प्रज्ज्वलित करते हैं, उसी प्रकार हमें अंतर में आत्मिक चिंगारी प्रज्ज्वलित करने की आवश्यकता है संत राजिंदर सिंह जी
हम सभी के भीतर एक दिव्य चिंगारी छिपी हुई है. विस्मयकारी सौंदर्य के मंडल, अकल्पनीय दृश्य और ध्वनियां, असीम विवेक और पूर्ण रूप से आलिंगित करता प्रेम हमें अंतर में आमंत्रित करते हैं. दिव्य ज्योति निरंतर प्रकाशित रहती है. हम इसकी खोज अधिकतम दूरी पर स्थित क्वासारों में या एटम के न्यूनतम क्वार्कों में करते हैं. किंतु इसके रहस्य हमारे भीतर छिपे रह जाते हैं.
#Spirituality : बदले में कुछ पाने की उम्मीद से कुछ किया तो क्या किया
मानव के उद्गम को जानने हेतु, वैज्ञानिक दूरबीनों के जरिए समस्त ब्रह्मांड को निहारने पर या पार्टिकल एक्सीलिरेटर्स द्वारा परमाणु का खंडन करके ‘परमात्मा-कण’ ढूंढने पर विशाल धनराशि खर्च करते हैं. अन्य व्यक्ति विश्व के विभिन्न धर्मों के कर्मकांडों द्वारा प्रभु को पाने का प्रयास करते हैं. फिर भी, अधिकांश लोगों के लिए प्रभु एक रहस्य बने हुए हैं.#Spirituality : जो अपने भीतर की खुशी को पा ले, उसके लिए सारा संसार सुंदर है
हमारे भीतर एक ज्वाला विद्यमान है, जो हमारे जीवन में कायाकल्प कर सकने की सामर्थ्य रखती है. एक ज्योति है, जो हमें विवेक, शाश्वत सुख, पूर्ण प्रेम, निर्भयता और अमरत्व दे सकती है. यह ज्वाला हमारे हृदय और मन को आलोकित करती है और ऐसे प्रश्नों के उत्तर देती है जिनसे मानवता युगों-युगों से जूझती आई है, जैसे कि हम यहां क्यों आए हैं? हम कहां से आए हैं? मृत्योपरान्त हम कहां जाएंगे? वैज्ञानिकों की भांति हम इनके उत्तरों को तारों से भरे आसमान में और परमाणु के अंदर ढूंढते रहते हैं. हम इनके उत्तरों को धर्मस्थानों, धर्मग्रंथों, ओर तीर्थस्थानों में भी ढूंढते रहते हैं. परंतु इस ज्ञान को प्राप्त करने हेतु हमें कहीं बाहर खोजने की आवश्यकता नहीं है; यह ज्वाला हम सबके भीतर विद्यमान है.
#Spirituality : आनंदमय जीवन का रास्ता यहां से होकर जाता है
जब हम उस धधकते अंगारे को खोज लेते हैं, तो हम अंतर के अचरजों को देखने वाले बन जाते हैं और सौंदर्य, असीम प्रेम, अविरल आह्लाद और अकथनीय हर्षोन्माद का अनुभव करने लगते हैं. यह ज्वाला मात्र कुछेक के लिए नहीं है; वरन् यह सभी के लिए उपलब्ध है. शाश्वत धूप का आनंद लेने के लिए हमें अपने भीतर झांकना होगा. ध्यानाभ्यास द्वारा हम आंतरिक ज्योति और श्रुति को देख व सुन सकते हैं. इस धारा में लीन होने पर हमें चेतनता के आत्मिक मंडलों का अनुभव होता है.
#Spirituality : दुनियावी भौतिक सुख तो हासिल कर लोगे, लेकिन आत्मा की मुक्ति का क्या?
ध्यानाभ्यास की इस विधि को सभी धर्मों, देशों और संस्कृतियों के व्यक्ति अपना सकते हैं. इसके लिए किन्हीं कठोर आसनों या मुद्राओं की आवश्यकता नहीं है. इस आरामदेह अवस्था में बैठकर अपनी आत्मा की शांत गहराइयों में अद्भुत ज्योतिर्मय आंतरिक दृश्यों का अनुभव करते हैं. जैसे ज्योति की एक किरण वापस सूर्य की ओर ले जाती है, वैसे ही आंतरिक यात्रा हमें ज्योति और श्रुति की धारा के स्रोत, दिव्यता के केंद्र की ओर ले जाती है. ध्यानाभ्यास के द्वारा हम उस स्रोत में लीन हो सकते हैं और असीम चेतनता, शाश्वत शांति और अनवरत सुख का अनुभव कर सकते हैं.
#Spirituality : जीवन एक स्कूल है और हम इसके सतत विद्यार्थी
जिस प्रकार गरमाहट पाने हेतु हम अग्नि प्रज्ज्वलित करते हैं, उसी प्रकार हमें अंतर में आत्मिक चिंगारी प्रज्ज्वलित करने की आवश्यकता है. एक बार यह चिंगारी जल जाए तो इसे जलाए रखने हेतु हमें इसकी देखरेख करनी होगी. जैसे-जैसे यह हमें प्रदीप्त करती है, हम अपनी शाश्वत ज्योति से ऐसे प्रकाशवान होते हैं कि यह हमसे सभी मिलने वालों की ओर प्रसारित होती जाती है, जब तक कि समस्त विश्व दिव्य ज्योति से भरपूर और शाश्वत प्रेम, शांति, और परमानंद से सराबोर नहीं हो जाता.
#Spirituality : हम जैसी संगत में रहते हैं, वैसे ही हो जाते हैं
(लेखक सावन कृपाल रूहानी मिशन के प्रमुख हैं)
(फर्स्ट पोस्ट से साभार)
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