#Spirituality : बदले में कुछ पाने की उम्‍मीद से कुछ किया तो क्‍या किया - india6news.blogger.com News18.com: CNN-News18 Breaking News India, Latest News Headlines news18.com

coollogo_com-16231148

Latest News in India, Live News India, India Breaking News, today's India6news,india Latest Breaking News,Live TV News,Top News

pub_upk7x1

Post Top Ad

pub_upk7x1

Post Top Ad

Wednesday, July 25, 2018

#Spirituality : बदले में कुछ पाने की उम्‍मीद से कुछ किया तो क्‍या किया

Edited-7-1अपने भीतर प्रभु का प्रेम अनुभव करने से हमारे अंदर नम्रता आती है. जब हमारे अंदर आत्मिक नम्रता का विकास होता है तब धन, मान-प्रतिष्ठा, ज्ञान और सत्ता का अहंकार नहीं आ पाता संत राजिंदर सिंह जी
नम्रता एक ऐसा दुर्लभ सद्गुण है जिसे हमें अपने जीवन में धारण करना है. नम्रता का अर्थ ऐसे भाव से जीना है कि हम सब एक ही परमात्मा की संतान हैं. जब हमें यह अहसास होता है कि प्रभु की नजरों में सब एक समान हैं, तो दूसरों के प्रति हमारा व्यवहार नम्र हो जाता है. जब हमारा अहंकार खत्म हो जाता है तो हमारा घमंड और गर्व मिट जाता है. तब हम किसी को पीड़ा नहीं पहुंचाते. हम महसूस करते हैं कि प्रभु की दया से हमें कुछ पदार्थ मिले हैं और जो पदार्थ हमें दूसरों से अलग करते हैं वो भी प्रभु के दिए उपहार हैं.
#Spirituality : आनंदमय जीवन का रास्‍ता यहां से होकर जाता है

अपने भीतर प्रभु का प्रेम अनुभव करने से हमारे अंदर नम्रता आती है. तब हर चीज में हमें प्रभु का हाथ नजर आता है. हम देखते हैं कि करनेहार तो प्रभु हैं. जब हमारे अंदर इस तरह की आत्मिक नम्रता का विकास होता है तब हमारे अंदर धन, मान-प्रतिष्ठा, ज्ञान और सत्ता का अहंकार नहीं आ पाता.

#Spirituality : जीवन में कुछ दिन सुख वाले होंगे तो कुछ दुख वाले भी

कहा जाता है कि जहां प्रेम है, वहां नम्रता है. हम जिनसे प्यार करते हैं उनके आगे अपनी शेखी नहीं बघारते, न ही उन पर क्रोध करते हैं. हमें उन लोगों के प्रति भी इसी तरह का व्यवहार करना चाहिए जिनसे हम अपरिचित हैं. यह भी कहा जाता है कि जहां प्यार है, वहां निःस्वार्थ सेवा का भाव होता है. हम जिनसे प्रेम करते हैं उनकी सहायता करना चाहते हैं लेकिन हमें जो भी मिले, हमें उसकी मदद करनी चाहिए क्योंकि सब में प्रभु की ज्योति है.

#Spirituality : जीवन एक स्‍कूल है और हम इसके सतत विद्यार्थी

अपने भीतर नम्रता विकसित करने का एक तरीका है- ध्यान का अभ्यास. जब हम अपने अंतर में स्थित प्रभु की ज्योति और शब्द से जुड़ते हैं तो हमसे प्रेम, नम्रता और शांति का प्रवाह होता है. हम दूसरों की निःस्वार्थ सेवा करते हैं ताकि उनके दुःख-तकलीफ कम हो सकें. जीवन के तूफानी समुद्र में हम एक दीप-स्तंभ बन जाते हैं. समुद्री तूफान के समय जब जहाज और नावें रास्ता भटक जाते हैं तो वो हमेशा दीप-स्तंभ की ओर देखते हैं. एक बार अंतर में प्रभु की ज्योति का अनुभव पाने और यह अहसास करने के बाद की हम प्रभु के अंश हैं, हम एक सच्चे इंसान के प्रतीक बनकर, एक प्रकाश-स्तंभ की तरह दूसरों को सहारा देते हैं, उन्हें राह दिखाते हैं.
#Spirituality : हम जैसी संगत में रहते हैं, वैसे ही हो जाते हैं
जब हम प्रभु के प्रेम से भर उठते हैं हम देखते हैं कि इससे हमारे जीवन में टिकाव आया है. हम पाते हैं कि जो खुशी और दिव्य आनंद हमें ध्यान-अभ्यास के दौरान मिलता है वह केवल उसी समय के लिए नहीं होता बल्कि उसके बाद भी हमारे साथ बना रहता है. इसका हमारे दैनिक जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और हमारे आसपास के लोग भी इससे अछूते नहीं रहते.
#Spirituality : हम जैसी संगत में रहते हैं, वैसे ही हो जाते हैं
(लेखक सावन कृपाल रूहानी मिशन के प्रमुख हैं)
(फर्स्‍ट पोस्‍ट से साभार)
ये भी पढ़ें- 
#Spirituality : ज्ञान और विद्या से विनम्रता आती है, अहंकार नहीं
#Spirituality : दुख तब शुरू होता है, जब हम थप्‍पड़ का जवाब मुक्‍के से देने लगते हैं
#Spirituality : जीवन में कुछ दिन सुख वाले होंगे तो कुछ दुख वाले भी
#Spirituality : हम बाहर वही देखते हैं, जो हमारे भीतर होता है
from Latest News कल्चर News18 हिंदी https://ift.tt/2JNYhsD

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad